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सुबह उठकर मैंने फिर से वो किताब पढ़ी कामसूत्र का वही चेप्टर हस्तिनी यानिकी हतनी
ये तो पढ़ना ही है पुरा कम्प्लिट करना ही है क्योंकि मेरी रोज मरहा की जिंदिगी में ऐसी औरतों की मुझे जरुरत है और मिलते ही हैं
आगे लिखा गया था कि ये हस्तिनी के अउर्टें शर्म हया अभूल जाती हैं जब वो चुदाई का काम करती हैं या फिर रोमन्स में आ जाती हैं
और इनको ये बिलकुल अच्छा नहीं लगता कि सामने वाला पार्टनर भी कोई दूरी रखे या फिर कोई शर्म हया अपने पास रखे नहीं नहीं उनको ये बिलकुल भी मनजूर नहीं है अगर सीधे सीधे शब्दों में कहा जाये तो ये अती बहुत ज़ादा कामातूर
और अर्तें होती हैं इनकी काम की प्यास को बुजाना सब के वस्ति बात नहीं जैसे की मैंने पीछले चप्टर में बताया था और मैंने खुद भी पढ़ाता हा उसके लिए मेरे जैसे आदमी की जरुवत है हाँ आदमी ही कहुंगा 27 आल का हूं लेकिन हूं तो आदमी और �