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बच्चपन में जब हम चुपन चुपाई खेलते थे तब मेरे ममी पापा अपने आप में बिज़े होते थे और मेरे चाचा का लड़का हम दोनों के साथ में चुप जाते थे और वो कभी मुझसे लिपड़ जाता तो कभी मैं उससे लिपड़ जाती

कई बाद तो अपना लंड मेरे चुप में डग़ता और मैं भी उससे ऐसा कहने के लिए कहती ये सिलसिला शिरू ऐसे हुआ कि गर्मियों की छुट्टिया चल रही थी तो मैं एक बाद चाचा के घर गई और वहाँ पर जब हम रात में सो रहे थे तब मैंने अपने चाचा के �

लंड सोते वक्त खिच दिया था उसके बाद समय बदलता गया और हम

ही जवान होने लगे पुरानी बाते याद नहीं थी लेकिन कुछ पल थे

जो हम कभी भूल नहीं सकते थे एक बाद हमारी मैसेज में बात हो

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