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सुबह जब मैं बाहर आया तो देखा कि अरंगती चाची एकदम नहात होके मेरे लिए चाय का कप लेकर आ रही है।

एक जैसे नई नवेली तुलहन आती है ठीक वैसे ही शर्मा रही थी सर जुका कर।

मुझे बड़ा अजीब लग रहा था।

तु निचरली मेरे साथ चुदाई कर, मेरे उपर बैट कुछ भी कर लेकिन ऐसे बिहेब करें की तो मुझे बड़ा अजीब लग रहा है। अनकमफ़टेबल मेसुस हो रहा है।

और मैंने चाची से यही कहा कि चाची ऐसा मत करो यार पर चाची को कौन समझाए उसके उपर तो जैसे नई नवेली दुलहन बनने का और सुहाग रात मनाने का और हनिमून क्या होता है इसको समझने का भूद सवार था।

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